वीर बाल दिवस
भारत में हर साल 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन गुरु गोबिंद सिंह जी के चार साहसी पुत्रों, जिन्हें साहिबजादों के नाम से जाना जाता है, के महान बलिदान को याद करने और सम्मानित करने के लिए समर्पित है। वीर बाल दिवस हमें यह सिखाता है कि धर्म, सत्य और मानवता की रक्षा के लिए साहस और बलिदान का महत्व कितना अधिक है।
वीर बाल दिवस की शुरुआत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 में घोषणा की कि साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह की शहादत को सम्मानित करने के लिए 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाया जाएगा। यह दिन भारतीय इतिहास के उन महान वीर बालकों के बलिदान को संजोने का एक प्रयास है, जिन्होंने धर्म और मानवता के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए।
साहिबजादों की कहानी
गुरु गोबिंद सिंह जी के चार पुत्रों के नाम हैं:
- साहिबजादा अजीत सिंह (18 वर्ष)
- साहिबजादा जुझार सिंह (16 वर्ष)
- साहिबजादा जोरावर सिंह (8 वर्ष)
- साहिबजादा फतेह सिंह (6 वर्ष)
1704 में, आनंदपुर साहिब के किले पर मुगलों और उनके सहयोगी पहाड़ी राजाओं ने हमला किया। जब किला छोड़ने के लिए गुरु गोबिंद सिंह जी को मजबूर किया गया, तब उनके परिवार को अलग कर दिया गया। साहिबजादा जोरावर सिंह और फतेह सिंह अपनी दादी माता गुजरी जी के साथ पकड़ लिए गए और सरहिंद के नवाब वजीर खान के पास ले जाया गया।
बलिदान की गाथा
वजीर खान ने इन नन्हें बालकों को इस्लाम धर्म अपनाने का प्रस्ताव दिया। लेकिन, दोनों साहिबजादों ने अपने धर्म और विश्वास पर अडिग रहते हुए इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। उनके अडिग साहस से क्रोधित होकर वजीर खान ने उन्हें जीवित दीवार में चुनवा दिया। इस क्रूर यातना को भी दोनों ने हिम्मत और शांति से सहन किया।
साहिबजादा अजीत सिंह और जुझार सिंह ने भी धर्म और न्याय के लिए अपने प्राण त्याग दिए। इस तरह, गुरु गोबिंद सिंह जी के चारों पुत्रों ने सिख धर्म और मानवता की रक्षा के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया।
वीर बाल दिवस का महत्व
- धार्मिक और ऐतिहासिक मूल्य: साहिबजादों का बलिदान सिख इतिहास का एक गौरवशाली अध्याय है।
- युवाओं के लिए प्रेरणा: यह दिन बच्चों और युवाओं को धर्म, सत्य, साहस और बलिदान के महत्व को समझाने का एक अवसर प्रदान करता है।
- राष्ट्रीय एकता का प्रतीक: वीर बाल दिवस भारतीय संस्कृति और विरासत को संजोने और एकजुटता का संदेश देता है।
वीर बाल दिवस पर कार्यक्रम
इस दिन स्कूलों, कॉलेजों और संस्थानों में साहिबजादों की गाथा पर आधारित भाषण, नाटक, और निबंध लेखन जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। गुरुद्वारों में विशेष अरदास और कीर्तन का आयोजन होता है।
निष्कर्ष
वीर बाल दिवस भारतीय इतिहास का एक प्रेरणादायक अध्याय है। साहिबजादों की निडरता और बलिदान न केवल सिख धर्म बल्कि पूरी मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत है। यह दिन हमें सिखाता है कि सत्य, धर्म और मानवता के लिए अपने जीवन को समर्पित करना सबसे बड़ा कर्तव्य है। साहिबजादों का बलिदान आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरित करता रहेगा।
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