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Thursday 13 April 2023

Ambedkar Jayanti 2023

 


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Ambedkar Jayanti 2023: संविधान निर्माता के तौर पर प्रसिद्ध बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती हर साल 14 अप्रैल के दिन मनाई जाती है। बाबा साहेब की जयंती को पूरे देश में लोग मनाते हैं। डाॅ. भीमराव अंबेडकर को भारत रत्न से सम्मानित किया जा चुका है। उनका पूरा जीवन संघर्षरत रहा है। उन्होंने भारत की आजादी के बाद देश के संविधान के निर्माण में अभूतपूर्व योगदान दिया। बाबा साहेब ने कमजोर और पिछड़े वर्ग के अधिकारों के लिए पूरा जीवन संघर्ष किया। डॉ. अंबेडकर सामाजिक नवजागरण के अग्रदूत और समतामूलक समाज के निर्माणकर्ता थे। अंबेडकर समाज के कमजोर, मजदूर, महिलाओं आदि को शिक्षा के जरिए सशक्त बनाना चाहते थे। इसी कारण डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती को भारत में समानता दिवस और ज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है।


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भीमराव अंबेडकर का जीवन परिचय

डाॅ. भीमराव अंबेडकर का जन्म मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव महू में 14 अप्रैल 1891 में हुआ था। हालांकि उनका परिवार मूल रूप से रत्नागिरी जिले से ताल्लुक रखता था। अंबेडकर के पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल था, वहीं उनकी माता भीमाबाई थीं। डॉ. अंबेडकर महार जाति के थे। ऐसे में उन्हें बचपन से ही भेदभाव का सामना करना पड़ा।







अंबेडकर की शिक्षा

बाबा साहेब बचपन से ही बुद्धिमान और पढ़ाई में अच्छे थे। हालांकि उस दौर में छुआछूत जैसी समस्याएं व्याप्त होने के कारण उनकी शुरुआती शिक्षा में काफी परेशानी आई। लेकिन उन्होंने जात पात की जंजीरों को तोड़ अपनी पढ़ाई पूरी की। मुंबई के एल्फिंस्टन रोड पर स्थित सरकारी स्कूल में वह पहले अछूत छात्र थे। बाद में 1913 में अंबेडकर ने अमेरिका के कोलंबिया यूनिवर्सिटी से आगे की शिक्षा ली। यह एक बड़ी उपलब्धि थी कि साल 1916 में बाबा साहेब को शोध के लिए सम्मानित किया गया था।






बाबा साहेब को मिली डाॅक्टर की उपाधि

लंदन में पढ़ाई के दौरान उनकी स्कॉलरशिप खत्म होने के बाद वह स्वदेश वापस आ गए और यहीं मुंबई के सिडनेम कॉलेज में प्रोफेसर के तौर पर नौकरी करने लगे। 1923 में उन्होंने एक शोध पूरा किया था, जिसके लिए उन्हें लंदन यूनिवर्सिटी ने डॉक्टर ऑफ साइंस की उपाधि दी थी। बाद में साल 1927 में अंबेडकर ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी से भी पीएचडी पूरी की।








अंबेडकर का करियर

बाबा साहेब ने अपने जीवन में जात पात और असमानता का सामना किया। यही वजह है कि वह दलित समुदाय को समान अधिकार दिलाने के लिए कार्य करते रहे। अंबेडकर ने ब्रिटिश सरकार से पृथक निर्वाचिका की मांग की थी, जिसे मंजूरी भी दे दी गई थी लेकिन गांधी जी ने इसके विरोध में आमरण अनशन किया तो अंबेडकर ने अपनी मांग को वापस ले लिया।




बाबा साहेब अंबेडकर की उपलब्धि

अंबेडकर के राजनीतिक जीवन की बात करें तो उन्होंने लेबर पार्टी का गठन किया था। संविधान समिति के अध्यक्ष रहे। आजादी के बाद कानून मंत्री नियुक्त किया गया। बाद में बाॅम्बे नॉर्थ सीट से देश का पहला आम चुनाव लड़ा लेकिन हार का सामना करना पड़ा। बाबा साहेब राज्यसभा से दो बार सांसद चुने गए। वहीं 6 दिसंबर 1956 को डॉ. भीमराव अंबेडकर का निधन हो गया। उनके निधन के बाद साल 1990 में बाबा साहेब को भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।


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