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LIBRARY DEPARTMENT
पुस्‍तकालय विभाग

"Nothing is pleasanter than exploring a library."

दुनिया एक किताब है और वो जो घूमते नहीं बस एक पेज पढ़ पाते हैं|     अच्छे मित्र, अच्छी किताबें, और साफ़ अंतःकरण : यही आदर्श जीवन है|

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Friday 22 December 2023

वीर बाल दिवस 2023/VEER BAL DIWAS 2023 GLIMPSES





वीर बाल दिवस 2023/VEER BAL DIWAS 2023



 वीर बाल दिवस 2023: इतिहास, महत्व और वह सब कुछ जो आपको जानना आवश्यक है| गुरु गोबिंद सिंह के पुत्रों की शहादत को चिह्नित करने के लिए 26 दिसंबर को 'वीर बाल दिवस' के रूप में मनाया जाता है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरु गोबिंद सिंह के पुत्रों जोरावर सिंह और फतेह सिंह को सम्मान दिया, जिन्होंने अपने विश्वास की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए, गुरु गोबिंद सिंह के पुत्रों की शहादत को चिह्नित करने के लिए 26 दिसंबर को 'वीर बाल दिवस' के रूप में मनाया जाता है। Click here For Quiz QUIZ




पेश है उनकी वीरता और बलिदान की कहानी.



गुरु गोबिंद सिंह राजवंश का निवास स्थान आनंदपुर, वर्ष 1704 में मुगलों की सेनाओं द्वारा घेर लिया गया था। हमले के बाद गुरु गोबिंद सिंह के बेटे, साहिबजादा जोरावर सिंह (9) और साहिबजादा फतेह सिंह (7) मारे गए। लेकिन हमले का कारण क्या था?

गुरु गोबिंद सिंह, जो एक सेना का गठन कर रहे थे, ने 1699 में खालसा की स्थापना की। धर्मनिष्ठ सिखों ने इस विशिष्ट योद्धा समूह को बनाया, जिसका मिशन लोगों को धार्मिक उत्पीड़न से बचाना था। मुगल साम्राज्य खालसा को एक खतरे के रूप में देखता था।


Thursday 21 December 2023

GLIMPSES OF NATIONAL MATHEMATICS DAY 2023


राष्ट्रीय गणित दिवस 2023/NATIONAL MATHEMATICS DAY 2023








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QUIZ

 

December 22 is celebrated as National Mathematics Day in India. It is the birth anniversary of Mathematician Srinivasa Ramanujan. 

NationalMathematics Day is observed on December 22 every year. This date marks the birth anniversary of legendary mathematician Srinivasa Ramanujan. In 2012, then Prime Minister Manmohan Singh declared December 22 as National Mathematics Day to honor the life and achievements of Ramanujan.


Here are 10 points on life and work of the great mathematician:

  1. Srinivasa Ramanujan was born on December 22, 1887, in Tamil Nadu’s Erode to a Brahmin Iyengar family. He had developed a liking for mathematics at a very young age, mastering trigonometry at 12 and was eligible for a scholarship at the Government Arts College in Kumbakonam.

Wednesday 13 December 2023

KVS FOUNDATION DAY 2023






The Kendriya Vidyalaya Sangathan  is a system of central government schools in India that are instituted under the aegis of the Ministry of EducationGovernment of India. As of april 2023, it has a total of 1,253 schools in India, and three abroad in Moscow, Tehran and Kathmandu. It is one of the world’s largest chains of schools being controlled by 25 Regional Offices and 05 ZIETs (Zonal Institute of Education and Training) under KVS (HQ)

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Click below to have a Quiz now.

QUIZ








Vision

KVS believes in imparting knowledge/values and nurturing the talent, enthusiasm and creativity of its students for seeking excellence through high-quality educational endeavours.


Mission

  • To cater to the educational needs of children of transferable Central Government including Defence and Para-military personnel by providing a common programme of education;
  • To pursue excellence and set the pace in the field of school education;
  • To initiate and promote experimentation and innovations in education in collaboration with other bodies like Central Board of Secondary Education (CBSE) and National Council of Educational Research and Training (NCERT) etc.

Sunday 10 December 2023

सुब्रमण्यम भारती जयंती 2023


सुब्रमण्यम भारती का जीवन परिचय


सुब्रमण्यम भारती (1882-1921) दक्षिण भारत के इस महान कवि, समाज सुधारक व स्वतंत्रता सेनानी का जन्म 11 दिसंबर 1882 को तमिलनाडु के तिन्न्वेल्ली जिले के एट्टायपुरम नामक गाँव में हुआ था.

जिन्होंने अपनी देश भक्तिपूर्ण गीतों व कविताओं के द्वारा मातृभूमि को स्वतंत्र कराने के लिए समर्पित देशभक्तों की रगो व मन मस्तिष्क में एक नए उत्साह व जोश को बढ़ावा दिया.



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पूरा नामसुब्रह्मण्य भारती
जन्म11 दिसम्बर 1882
उपाधिभारती
अन्य नाममहाकवि भारतियार
प्रसिद्ध ग्रंथ‘स्वदेश गीतांगल’ ‘जन्मभूमि’
विवाहचेल्लमल (चचेरी बहन) 1897
काव्य भाषातमिल
मृत्यु11 सितम्बर 1921


सुब्रह्मण्यम भारती का आरंभिक जीवन

महाकवि भारती के नाम से प्रसिद्ध सुब्रह्मण्यम भारती जी केवल तमिल भाषा के ही नहीं बल्कि भारत के बड़े राष्ट्रवादी कवियों में गिने जाते है.

बुद्धिमता, लेखन, दर्शन विशेष्यज्ञ राष्ट्रप्रेमी लेखक थे. बंगाली, हिंदी, संस्कृत, फे्रंच और अंग्रेजी भाषाओं पर भी भारती की अच्छी पकड़ थी.

भारती जी की काव्य शक्ति इतनी प्रखर थी, कि वे बहुत कम आयु में ही कविता की रचना करने लगे थे. तथा 11 वर्ष की आयु में ही उनके भारतीय की उपाधि से सुशोभित किया गया.

इन्होने अपने जिले के हिन्दू कॉलेज स्कूल में शिक्षा प्राप्त की तथा संस्कृत व हिंदी में विद्वता प्राप्त की.

एट्टयपुरम एक जमीदारी ठिकाना था सुब्रह्मण्यम भारती के पिता चिन्नास्वामी अय्यर जी जमीदार के यहाँ काम करते थे. जब भारती की उम्र पांच वर्ष थी तभी उनकी माँ का देहांत हो गया.

पिता और नानाजी की छत्रछाया में ही उनका बचपन व्यतीत हुआ. नाना के साथ तमिल काव्य पर चर्चा करना इन्हें खूब भाता था. पढ़ाई में कम रूचि थी इनका रुझान काव्य की तरफ अधिक था.


बचपन

बालपन से ही भारती का जुड़ाव एट्टयपुरम के राजघराने से रहा क्योंकि इनके पिताजी वहां काम करते थे. स्थानीय जमीदार काव्य प्रेमी था तथा वह भारती की कविताओं से बेहद प्रभावित थे, अतः उन्होंने सुब्रमण्यम को दरबारी कवि बना दिया.

कुछ समय तक सुब्रमण्यम दरबार में रहकर ही काव्य रचना करते रहे, इनकी एक कविता जमीदार को बेहद पसंद आई और सुब्रमण्यम को उन्होंने भारती की उपाधि दी. यह नाम और उपाधि जीवनभर उनके नाम के साथ जुड़ा रहा.

भारती की माँ की मृत्यु के पश्चात चिन्नास्वामी अय्यर ने दूसरी शादी कर ली और कुछ ही समय बाद 1898 में अय्यर की मृत्यु हो गई.

इस समय भारती की आयु सोलह वर्ष थी, 1897 में भारती ने अपनी चचेरी बहन चेल्लमल के साथ विवाह किया और  बाद ये वाराणसी अपनी बुआ के घर चले गये तथा यहाँ रहकर इन्होने हिंदी, संस्कृत और अंग्रेजी भाषाओँ का अध्ययन किया.

बनारस का भारती के जीवन में बड़ा योगदान रहा, यहाँ आकर न केवल इन्होने कई भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया बल्कि इलाहाबाद प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण की, यही उन्होंने एनी बेसेंट का लेक्चरर सुना और इलाहबाद में रहते हुए पगड़ी पहननी शुरू की.

1902 में सुब्रमण्यम भारती ने जीविकोपार्जन के उद्देश्य से इटैयापुरम् में अध्यापन का कार्य शुरू कर दिया. इस दौरान भारती जी अंग्रेजी काव्य पुस्तकों का गहन अध्ययन करते रहे तथा उपनाम शैली दर्शन से समाचार पत्रों में लेख लिखते रहे.

सुब्रमण्यम भारती जी 1902 में स्वदेश मित्रन के सहायक संपादक के रूप में कार्यरत रहे तथा बाद में वह चक्रवर्तिनी पत्र के संपादक रहे.


स्वतंत्रता आंदोलन में सुब्रमण्यम भारती की भूमिका

1905 से भारती सक्रिय रूप से स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने लगे. इस बिच बहुत से राष्ट्रभक्तों व आध्यात्मिक नेताओं के सम्पर्क में आने के बाद वह बहुत प्रभावित हुए.

सुब्रमण्यम भारती ने बहुत से महान नेताओं जैसे तिलक, गोखले आदि पर भावमयी व प्रेरणायुक्त कविताएँ लिखी.

1906 में सुब्रमण्यम भारती सिस्टर निवेदिता के सम्पर्क में आए तथा बाद में मंडायम बंधुओं, एस तिरुमालाचारी तथा एस. श्रीनिवासचारी व वी. कृष्णास्वामी अय्यर से भी उन्होंने प्रगाढ़ सम्बन्ध बनाए.

इंडिया के संपादक के रूप में तथा अंग्रेजी साप्ताहिक बाल भारती में उनके क्रन्तिकारी लेखों की धूम के कारण अंग्रेजी सरकार बौखला गई.


सुब्रमण्यम भारती की कविताएँ

वर्ष 1908 में उनकी पहली कविता की पुस्तक सांग्स ऑफ फ्रीडम प्रकाशित हुई, जो कि केवल एक उनकी साहित्यिक उपलब्धि ही नही थी, बल्कि विदेशी शासन की दासता को तोड़ने के लिए प्रबल रूप से एक आव्हान भी था. इस प्रकार भारती ने मद्रास में स्वाधीनता आंदोलन में एक नयी जान फूक दी.

सुब्रमण्यम भारती गिरफ्तारी से बचने के लिए पांडिचेरी चले गये. वहां उनके द्वारा जीवन के बिताये गये 10 वर्ष कविताएँ रचने में व्यतीत हुए.

यहाँ भी भारती ब्रिटिश सरकार का प्रबल रूप में विरोध करते हुए वह श्री अरबिंद व वी वी एस अय्यर से संपर्क बनाए रहे.

1918 में भारती की कड्डलोर के नजदीक गिरफ्तार कर लिया गया. अगले वर्ष वह मद्रास में गांधी से मिले तथा उन्होंने गांधी को महात्मा गांधी नामक कविता समर्पित की.