राष्ट्रीय खेल दिवस (National Sports Day) हर साल 29 अगस्त को भारत में मनाया जाता है। इस दिन को भारतीय हॉकी के महान खिलाड़ी ध्यानचंद की जयंती के रूप में मनाया जाता है, जिनका खेल के प्रति योगदान अपार है और जिन्होंने भारत को कई अंतरराष्ट्रीय सम्मान दिलाए।
राष्ट्रीय खेल दिवस का उद्देश्य खेलों को बढ़ावा देना और फिटनेस के महत्व को उजागर करना है। इस दिन विभिन्न खेल आयोजनों, प्रतियोगिताओं और समारोहों का आयोजन किया जाता है। विद्यालयों और कॉलेजों में खेलकूद गतिविधियों का आयोजन होता है, और विभिन्न खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को सम्मानित किया जाता है।
इस दिन की विशेषता यह है कि यह हमें खेलों के प्रति अपने समर्पण और जुनून को फिर से याद दिलाता है। यह हमें स्वस्थ जीवनशैली अपनाने, टीम भावना को प्रोत्साहित करने और खेल के प्रति जागरूकता फैलाने का अवसर प्रदान करता है। राष्ट्रीय खेल दिवस हमें यह प्रेरणा देता है कि खेल जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और उनका हमारे शारीरिक और मानसिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान है।
All the students are hereby instructed to watch the above videos related to #SPACE DAY CELEBRATION# and come prepared for quiz competition on incoming Saturday.
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About National Space Day-2024
India became the fourth country to land on the moon and the first to reach its southern polar region on August 23, 2023. To honour this landmark achievement, Hon'ble Prime Minister Shri Narendra Modi announced August 23 as "National Space Day".
India is celebrating its maiden National Space Day [NSpD-2024] on August 23, 2024 with the theme "Touching Lives while Touching the Moon: India's Space Saga."
A myriad of events will unfold highlighting India's remarkable achievements in space, profound benefits to the society, and boundless opportunities for people from all walks of life to engage with the Indian space programme. These celebrations will culminate into the main event at New Delhi on August 23, 2024.
The celebrations of National Space Day – 2024 at Bharat Mandapam on August 23, 2024 will be streamed on ISRO Website & ISRO YouTube Channel.
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एक पारंपरिक हिंदू त्योहार
रक्षा बंधन, जिसे राखी के नाम से भी जाना जाता है, एक पारंपरिक हिंदू त्योहार है, जो भारत में बहुत महत्व रखता है. यह त्योहार भाइयों और बहनों के बीच के बंधन का जश्न मनाता है. “रक्षा बंधन” शब्द का अर्थ ही “सुरक्षा का बंधन” है. बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और बदले में भाई अपनी बहन की रक्षा करने की कसम खाता है. रक्षा बंधन मुख्य रूप से लिंग की परवाह किए बिना भाई-बहनों के बीच के रिश्ते का जश्न मनाता है.
ऐतिहासिक महत्व
इस त्योहार का ऐतिहासिक और पौराणिक संबंध है. भारतीय इतिहास में ऐसे उदाहरण हैं जहां युद्ध से पहले रक्षा सूत्र या ताबीज बांधने की प्रथा देखी गई थी. हिंदू पौराणिक कथाओं में, ऐसी कई कहानियां हैं जो भाई-बहनों के बीच के बंधन के महत्व को दर्शाती हैं. ये कहानियां सुरक्षा, प्रेम और कर्तव्य के विषयों पर प्रकाश डालती हैं जो रक्षा बंधन के विचार के केंद्र में हैं.
रक्षाबंधन का सांस्कृतिक महत्व
रक्षा बंधन का प्राथमिक महत्व भाइयों और बहनों के बीच के बंधन का उत्सव है. इस दिन, बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं, जो एक-दूसरे के प्रति उनके प्यार, देखभाल और सुरक्षा का प्रतीक है. बदले में, भाई अक्सर अपनी बहनों को उपहार या प्रशंसा के प्रतीक देते हैं. यह भाई-बहनों के लिए अपना स्नेह व्यक्त करने और अपने रिश्ते को मजबूत करने का समय है.
एक भाई का अपनी बहन से वादा
राखी का धागा सिर्फ एक सजावटी तत्व नहीं है; यह गहरे अर्थ रखता है. राखी बांधकर बहनें अपने भाइयों से सुरक्षा की भावना जगाती हैं. बदले में, भाई अपनी बहनों को किसी भी नुकसान या कठिनाई से बचाने का वादा करते हैं. यह आदान-प्रदान एक-दूसरे का समर्थन करने और उसका ख्याल रखने की आपसी प्रतिबद्धता का प्रतीक है. रक्षा बंधन भारतीय संस्कृति में गहराई से निहित है और सदियों से मनाया जाता रहा है. यह परिवार, प्रेम और एकता के मूल्यों को दर्शाता है. भले ही भाई-बहन भौगोलिक रूप से दूर हों, वे अक्सर इस दिन जुड़ने का प्रयास करते हैं, जिससे पारिवारिक संबंध मजबूत होते हैं.
भारत का स्वतंत्रता दिवस हर वर्ष 15 अगस्त को देश भर में हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है । यह प्रत्येक भारतीय को एक नई शुरूआत की याद दिलाता है। इस दिन 200 वर्ष से अधिक समय तक ब्रिटिश उपनिवेशवाद के चंगुल से छूट कर एक नए युग की शुरूआत हुई थी। 15 अगस्त 1947 वह भाग्यशाली दिन था जब भारत को ब्रिटिश उपनिवेशवाद से स्वतंत्र घोषित किया गया और नियंत्रण की बागडोर देश के नेताओं को सौंप दी गई। भारत द्वारा आजादी पाना उसका भाग्य था, क्योंकि स्वतंत्रता संघर्ष काफी लम्बे समय चला और यह एक थका देने वाला अनुभव था, जिसमें अनेक स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने जीवन कुर्बान कर दिए।
अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस का इतिहास-International Youth Day History
अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस पहली बार वर्ष 2000 में मनाया गया था, लेकिन इसकी जड़ें संयुक्त राष्ट्र की पहल और स्वयं युवाओं की सक्रिय भागीदारी से जुड़ी हुई हैं। अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस की ये अवधारणा 1991 में ऑस्ट्रिया के वियना में आयोजित संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के विश्व युवा मंच से उभरी है।
अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस का उद्देश्य-International Youth Day Importance And Significance
अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस का महत्व युवा व्यक्तियों को संगठित करने और सामाजिक उन्नति, आर्थिक प्रगति और सतत विकास में उनके योगदान को पहचानने की क्षमता से जुड़ा हुआ है। यह एक ऐसा दिन है जो 1965 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा उल्लिखित लोगों के बीच शांति, आपसी सम्मान और समझ को बढ़ावा देने में युवाओं द्वारा निभाई जाने वाली विविध और गतिशील भूमिकाओं को स्वीकार करता है।
इस दिन को मनाने में कई गतिविधियां शामिल हो सकती हैं जो सतत विकास के लिए संयुक्त राष्ट्र के एजेंडा को बढ़ावा देती हैं। इसके अतिरिक्त, युवा व्यक्तियों को स्थानीय और वैश्विक मुद्दों से संबंधित चर्चाओं और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में शामिल करके उन्हें अपने भविष्य में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए सशक्त बनाया जा सकता है।
मुंशी प्रेमचंद हिन्दी और उर्दू के महानतम भारतीय प्रसिद्ध लेखक तथा उपन्यासकार में से एक हैं। उनका जन्म का नाम धनपत राय श्रीवास्तव था, उन्होंने अपने दुसरे नाम “नवाब राय” के नाम से अपने लेखन की शुरुवात की लेकिन बाद में उन्होंने अपने नाम को बदलकर “प्रेमचंद” रखा। वे एक सफल लेखक, देशभक्त नागरिक, कुशल वक्ता, ज़िम्मेदार संपादक और संवेदनशील रचनाकार थे। उपन्यास के क्षेत्र में उनके योगदान को देखकर बंगाल के विख्यात उपन्यासकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने उन्हें ‘उपन्यास सम्राट’ कहकर संबोधित किया था।
हिरोशिमा दिवस
परमाणु बम वर्तमान में कई देशों के पास हैं। यह सभी देश इस हथियार को पहले उपयोग न करने की नीति के तहत अपने देश की सीमाओं की रक्षा करने के लिए विकसित करते हैं। पहली बार परमाणु बम का उपयोग अमेरिका ने जापान पर दूसरे विश्व युद्ध में किया था। इसी त्रासदी को याद रखने के लिए हर साल 6 अगस्त के दिन हिरोशिमा डे मनाते हैं। आज से 79 साल पहले 6 अगस्त ही वह दिन था जब अमेरिका ने जापान के शहर हिरोशिमा पर परमाणु हमला किया था। AtomicArchive की वेबसाइट के अनुसार हिरोशिमा में 66,000 लोगों की मृत्यु हो गई थी। इस दिन को मानव इतिहास का सबसे भयावह दिन मानता है।